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बब्लू बंदर की मस्ती

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बब्लू बंदर की मस्ती बहुत समय पहले की बात है जंगलपुर में बब्लू नाम का एक शरारती बंदर रहता था। उसकी सबसे बड़ी आदत थी दूसरों को परेशान करना। अगर कोई जानवर पानी पी रहा होता तो बब्लू चुपके से पीछे जाकर " भौं " कर देता था। जिससे पीने वाला डर के मारे पानी में गिर जाता था। और ये बब्लू को करने में बड़ा मजा आता था। और हंसते हंसते पेड़ पर चढ़ जाता था। बब्लू दिन भर सिर्फ शरारत ही करता रहता था। बब्लू को किसी की मदद करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था। वह सोचता था कि मदद करना सबसे बोरिंग काम होता है। एक दिन वह अकेले ही पेड़ पर बैठ के केला खा रहा था। तभी अचानक हवा में चमकदार रोशनी हुई और एक रहस्यमयी आवाज गूंजी, " बब्लू ! ये लो जादुई केला " बब्लू हैरान हो गया , और देखा कि उसके सामने एक सुनहरा पीला चमकता हुआ केला हवा में लटक रहा है। उसने सोचा पर ये आवाज कहा से आई । आसपास देखा तो कोई भी नहीं दिखाई दे रहा था। फिर उसने इस बात पर ज्यादा न सोचते हुए कहा – मुफ्त का जादुई केला! जरूर ही कुछ मजेदार होगा। उसने फौरन ही केला खा लिया। जैसे ही बब्लू ने केला खाया , आवाज फिर आई " अब तुम सुपर हे...

दादी मां की सीख – जैसी सोच वैसी स्थिति

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दादी मां की सीख – जैसी सोच वैसी स्थिति  एक बार की बात है , एक छोटे से सुंदर गांव मै अर्जुन नाम का लड़का रहता था , अर्जुन पढ़ाई मै बहुत अच्छा था । वह प्रतिदिन स्कूल जाता था । लेकिन उसमें एक बुरी आदत थी कि वह किसी भी बात के बुरे पहलू को ही देखता था , उसके दिमाग मै केवल नकारात्मक विचार ही आते रहते थे । जिसकी वजह से अर्जुन खूब परेशान भी रहता था । अगर बादल घिरे तो वह कहता कि अब तो बारिश होगी और मै बाहर भी खेल पाऊंगा । अगर टीचर ने सवाल पूछ लिया तो सोचता कि मै जवाब नहीं दे पाऊंगा तो लोग मजाक उड़ाएंगे मेरा , घर पे की मेहमान आता तो सोचता कि अब तो मेरा टीवी देखने का टाइम भी चला जाएगा । इन्हें नहीं आना चाहिए था। अर्जुन की यह सोच धीरे धीरे उसकी दुनिया वैसा ही बना रही थी – उदास ओर निराशा पूर्ण। एक दिन दादी ने अर्जुन को bulaya ओर कहा बेटा तुम्हे एक जादुई किताब दिखाती हु । इसमें जैसा tm सोचोगे wo सच ho जायेगा । अर्जुन की आँखें चमक गई सच मै दादी ? दादी मुस्कुराई और बोली है लेकिन ये किताब कही बाहर नहीं तुम्हारे दिमाग मै ही है । इसका नाम है सोच , जैसा सोचेंगे वैसा ही बन जाओगे । इसलिए हमेशा सकारात्म...

लालच बुरी बला

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लालच बुरी बला बहुत समय पहले की बात है। एक सुंदर और शांत गांव में जिसका नाम रामपुर था,  में राजू नाम का एक गरीब किसान रहता था। राजू मेहनती, ईमानदार, और संतोषी स्वभाव का था। उसके पास थोड़ी सी जमीन थी जिसने वह अनाज और सब्जियां उगाकर किसी तरह अपना गुजारा करता था। गांव के लोग उसे पसंद करते थे क्योंकि वह कभी किसी से ईर्ष्या नहीं करता था। और हमेशा मुस्कुरा के बात करता था। एक दिन की बात है, राजू अपने खेत में हल चला रहा था। सूरज सिर पर था और गर्मी अपने चरम सीमा पर थी। तभी उसके हल का फाल किसी सख्त चीज से टकराया। राजू ने वही खुदाई शुरू कर दी और कुछ ही देर में एक चमचमाता पीले रंग का पीतल का बर्तन निकला। वह हैरान हो गया बर्तन नया नया सा लग रहा था जैसे किसी ने अभी अभी उसे रखा हो। राजू ने बर्तन उठाया और उसमें देखा कि एक चिट्ठी रखी हुई थी। चिट्ठी में लिखा था " यह कोई साधारण बर्तन नहीं है यह हर सुबह एक सोने का सिक्का देगा, लेकिन एक शर्त है –सिक्का मांगते हुए मन में लालच, ईर्ष्या, द्वेष ऐसी भावनाएं नहीं होनी चाहिए जो सिक्का मिले उससे जरूरत मंदो को मदद करना तथा उस सिक्के का गलत उपयोग नहीं करना होगा।...

रोहन और मधुमक्खी की सीख

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रोहन और मधुमक्खी की सीख  रोहन एक असली लड़का था । वह रोज सुबह उठकर बिस्तर पर पड़ा रहता और उसकी मां कहती रोहन बेटा उठ जा स्कूल का टाइम हो गया है।तो वह मुंह बनाकर कहता मुझे स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता है , रोज वही पढ़ाई वही बोरिंग बाते । मां समझाती बेटा स्कूल बहुत जरूरी है । वहां तुम बहुत कुछ सीखते हो , लेकिन रोहन एक ही रट लगाया रहता है – मुझे स्कूल नहीं जाना है । एक दिन रोहन स्कूल से बचने के लिए पास के बगीचे में छुप गया । वहां एक बड़ा सा फूलों से भरा पौधा था रोहन उसकी छांव में लेटा था । और आंख बंद करके आराम करने लगा तभी भरररर की आवाज आई । रोहन ने देखा कि एक छोटी सी मधुमक्खी फूलों से रस ले रही थी । वह एक फुल से दूसरे फूल पर जाती , मेहनत से रस इकठ्ठा करती फिर छत्ते की ओर उड़ जाती। रोहन से उत्सुकता से पूछा , अरे o मधुमक्खी, तुम इतनी मेहनत क्यों करती हो ? रोज रोज ये उड़ना और काम करना क्या थकाऊ नहीं होता है । मधुमक्खी मुस्कुराई और बोली , मै रोज मेहनत करती हु क्योंकि मेरी मेहनत से शहद बनता है, जो औरों के काम आता है । अगर मै काम नहीं करूगी तो मेरा छत्ता खाली रहे जाएगा और मेरे परिवार को भूखा ...

नटखट चूहा

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नटखट चूहा एक बड़े अनाज के गोदाम में बहुत सारे चूहे रहते थे । वहां अनाज की भरमार थी गेहूं , चावल , दाल ओर इसी कारण चूहों का जीवन बड़ा आराम दायक था । इन्हीं में से एक था चिंटू , जो सबसे छोटा ओर सबसे नटखट चूहा था । उसकी शरारतों का कोई अंत नहीं था । कभी वो दूसरों की पूंछ पकड़ लेता , कभी चुपके से उनके खाने का अनाज चुरा लेता , तो कभी गेहूं के ढेर में कूद कूद कर सबका ध्यान भंग करता । बूढ़ा चूहा "दादू" अक्सर समझता बेटा चिंटू मस्ती करना फिर भी ठीक है लेकिन सावधानी भी जरूरी है । यहां हर दिन खतरा मंडराता रहता है। चिंटू हंसते हुए कहता है अरे दादू , मै भी तो सबसे तेज हुए , मुझे कौन पकड़ेगा। ओर फिर उछल कूद करने लगता है । कुछ दिनों बाद गोदाम मै एक नई मुसीबत आई एक बड़ी , सफेद , होशियार बिल्ली जिसका नाम सिम्बा था , उसकी चाल धीमी , पर निगाहे तेज ओर पंजे बहुत फुर्तीले थे । पहले ही दिन , चूहे डर के मारे अपनी अपनी बिल मै दुबक गए । लेकिन चिंटू तो , चिंटू था । उसने सबको चिढ़ाते हुए कहा , अरे ये बिल्ली भी क्या चीज है देखना मै उसके सामने से दौड़कर जाऊंगा ओर ये कुछ नहीं कर पाएगा। सभी ने मना किया ,...

होशियार बिल्ली और उसके बच्चे

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होशियार बिल्ली और उसके बच्चे एक सुन्दर छोटे से गांव मै एक बिल्ली रहती थी जिसका नाम मिनी था। मिनी बहुत समझदार थी उसके तीन बच्चे थे , टोपा ,चुन्नी , मुन्नी । ये तीनों बच्चे बहुत ही नटखट ओर खेल खेल में मस्त रहते थे । मिनी हमेशा अपने बच्चों को समझाती थी कि ताकत से ज्यादा जरूरी समझदारी है । एक दिन गांव के पास के जंगल मै एक भूखा भेड़िया घूम रहा था । भेड़िए को देखकर सभी जानवर डर गए थे क्योंकि वह बहुत तेज ओर खतरनाक था ।अचानक बिल्ली के बच्चों को देखने लगता है। उससे लगा कि ये बच्चे उसके खाने के लिए अच्छा शिकार है। भेड़िया बच्चों के देख तेजी से उनके पीछे भगा । तीनों बच्चे डर गए ओर अगल अलग जगह छुपने लगे । मिनी ने बच्चों की चीख सुनी ओर तुरंत समझ गई कि भेड़िए आ गया है । उसने जल्दी से सोचा मुझे कुछ समझदारी दिखानी होगी तभी बच्चे सुरक्षित रहे पाएंगे। मिनी ने अपने तेज दिमाग का इस्तेमाल किया । उसने गांव के किनारे एक पुरानी झोपड़ी के पास जाकर जोर जोर से सौर मचाने लगी सुनो सुनो यहां एक बड़ा शिकारी है , जो गांव के जानवरों को पकड़ने आया है। जो कोई भी यह है जल्दी भागों। भेड़िया जो झाड़ियों मै खड़ा था वो ...

नन्ही चिड़िया की बड़ी उड़ान

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नन्ही चिड़िया की बड़ी उड़ान एक हरे-भरे जंगल में, रंग-बिरंगे फूलों और ऊँचे-ऊँचे पेड़ों के बीच एक प्यारी-सी नन्ही चिड़िया रहती थी। उसका नाम मीठी था। उसका रंग हल्का नीला था, आँखें चमकदार और आवाज़ बहुत मधुर। मीठी को दिल से उतनी ही कोमलता मिलती थी, वह खुद थी। हर सुबह सूरज की पहली किरण के साथ मीठी उठती और चहचहाते हुए पूरे जंगल में उड़ान भरती। वह तितलियों के पीछे उड़ती, नदियों के किनारे जाती और बच्चों को अपना गीत सुनाती।जंगल मै और भी बहुत से जानवर थे चिल मोर तोते कबूतर लेकिन मीठी सबसे अलग थी , जंगल में सब उसे बहुत पसंद करते। मीठी सबसे अच्छे व्यवहार और दूसरों की मदद करना बहुत पसंद करती थी। एक दिन, गर्मी बहुत ज़्यादा पड़ रही थी। दोपहर थी, की अचानक जंगल में कहीं से आग लग गई। हवा में धुआँ भर गया और पेड़-पौधे जलने लगे। जानवर इधर-उधर भागने लगे। बड़ी चीलों ओर तेज उड़ने वाली चिड़ियों ने कहा — "हमें जल्दी ही यह जंगल छोड़ देना चाहिए । मीठी ने भी धुएँ देखा, लेकिन वह भागी नहीं। उसका दिल किसी अपने की तरह धड़क उठा। उसने देखा कि कुछ छोटे-छोटे नन्हे खरगोश, आग में फंसे हुए घोंसले जाल रहे है। अगर मै क...

समझदार मछली और मगरमच्छ का जाल

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समझदार मछली और मगरमच्छ का जाल बहुत लम्बे पहले की बात है। एक सुन्दर साफ और बड़ी झील में कई तरह की मछलियाँ रहती थीं - लाल, नीली, पीली, छोटी, बड़ी। सभी खुशहाल थीं। झील के किनारे पेड़-पौधे भी थे और पानी में कमल के फूल खिले रहते थे। उसी झील में एक बुढ़ा मगरमच्छ रहता था।जब वह जवान था तो बहुत तेज़ तैरता था और मछलियाँ पकड़ कर खा जाया करता था, लेकिन अब वह बूढ़ा हो गया था, उसके दाँत कमजोर हो गये थे और शरीर में ताकत भी कम हो गई थी। उसे कई दिनों से मछली खाने को नहीं मिली थी, जिस कारण वह और भूखा हो गया था। वह सोचने लगा - "अब मछली पकड़ना मेरे बस की बात नहीं है। क्यों न उन्हें धोखा देकर पकड़ा जाए अगले दिन वह झील के किनारे पेड़ के नीचे लेट गया और आँखों से पानी बहाने लगा। पास ही एक होशियार छोटी लाल मछली खेल रही थी। उसने मगरमच्छ को रोते देखा और पूछा, “मगरमच्छ जी, आप क्यों रो रहे हैं मगरमच्छ ने गहरी साँस लेकर कहा: “बेटी, मैं बहुत बुरा हूँ। मैंने अपने जीवन में बहुत सारी मछलियों को खा लिया है। अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ और पछता रहा हूँ। अब मैं किसी को नहीं खाऊँगा। मैं चाहता हूँ कि सभी मछलियाँ मेरी मित्र ...